मालव्य योग
जब
किसी जातक की कुंडली में शुक्र वृष , तुला या मीन राशि का होकर केंद्र में स्तिथ
हो तो मालव्य योग की रचना होती है . इस योग में जातक चन्द्र के समान काँतियुत होकर
युद्व और राजनीति में निपुणता प्राप्त करता है.इनके नयन सुंदर सभी अंग प्रत्यंग
मृदु और सुंदर होते हैं. स्त्री ,पुत्र , वाहन , भवन और अतुल संपदा का स्वामी होता
है. तेजस्वी , विद्वान , उत्साही , त्यागी ,चतुर , स्त्रीसा स्वभाव वाला होता है
.इनकी आयु ६० साल तक होती है.
भद्र योग
इस
योग में जातक की कुंडली में बुध मिथुन या कन्या राशि का होकर केंद्र में हो तो
बनता है . इस योग में जातक के हाथ घुटने से ज्यादा लम्बे होते हैं.इस योग में जातक
विद्वान् होने के साथ साथ बातो की कला में निपुण होता हैं.उसके सामने बातों में
कोई भी नहीं ठहर सकता है इनका चेहरा शेर की तरह और गति हाथी की तरह होती है. पुष्ट
जांघे और विशाल छाती होती है .ये श्रेष्ठ प्रसाशक , निपुण , विपुल सम्पदा ,
प्रज्ञावान , धनी , सम्माननीय और दयावान होते है . इनकी आयु ८० साल तक होती है. .
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