सभी को नव संवत्सर २०७० की लाख- लाख बधाईयां . आज से वासंतीय नवरात्र
भी शुरू हो रहे हैं . आज अश्वनी नक्षत्र है .आज के दिन काली , सरस्वती और लक्ष्मी
देवी के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है. आज प्रथम दिन हिमालय पुत्री
श्री शैलपुत्री की आराधना की जाती है .आज शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के बाद निम्न
मंत्रो के द्वारा पूजा करनी चाहिये .
१.
ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गाये नमः का १०८ बार जाप
करना चाहिए .
२.
ॐ ऐं ह्रीं क्लिं कलिकाये नमः का १०८ जाप करना
चाहिए .
३.
ॐ ऐं ह्रीं कलीं चमुन्ड़ाय नमः का १०८ जाप करना
चाहये .
४.
शैलपुत्री उपासना मंत्र – “ या देवि सर्वभूतेषु
प्रकृति रूपेण सन्सिथता नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम: “ का १०८ बार जाप करना चाहिए ..
इन बीज मंत्रो के उपरांत ही श्री दुर्गा सप्तसती
का पाठ करना चाहये. आज घाट स्थापना का मुहूर्त प्रातः ०६:५० से लेकर ०८:२६ तक है .
इसके आलवा अभिजीत मुहूर्त ११:४० से १२:४५ के मध्य भी पूजा कर सकते हैं . लेकिन
राहुकाल ०१:३० से ०३:०० के मध्य कोई भी पूजा न करना हितकर रहेगा .
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