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Monday, 15 April 2013

Fort of jhansi

Original photograph of rani laxmibai
झाँसी की रानी— सुभद्रा कुमारी चौहान

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
rani jhansi 1857

ASTROLOGER AMRENDRA GAUR AT JHANSI FORT DECEMBER 2012
Jhansi fort is situated between Pahuj and Vetravati ( Betwa) river in Bundelkhand region of Uttar Pradesh , India . Raja Beer Singh Judev of Orchcha got construted Jhansi fort and around it established city of Balwant nagar later on known as Jhansi .



 PANCH MAHAL OF JHANSI FORT
 PLACE WHERE JHANSI RANI JUMPED TO VALLY WITH HORSE 
 kADAK BIJLI CANON

 JHANSI FORT WITH SHURYA
 ASHI AT JHANSI FORT

 JHANSI FORT GARDEN







 JHANSI FORT PARK
FORT BURJ 
STATUE OF JHANSI RANI AT LAXMIBAI PARK 
 VIEW OF JHANSI FORT FROM VRINDAVAN LAL PARK JHANSI
 STATUE OF RANI AT JHANSI
 JHANSI KA KILA   JHANSI राजा छत्रसाल ने मराठो को बाद में झाँसी का राज्य दे दिया था . नरो शंकर यहाँ के पहले पेशवा बाजी राव के गवर्नर थे . इन्होने किले में शंकर गढ़ बनाया था . रानी झाँसी की शादी रजा गंगाधर राव के साथ हुए थी . जो जल्दी ही मर गए थे . इनके कोई संतान न थी इसलिए दामोदर राव को गोद लिया था . लेकिन लार्ड डलहोजी की डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स के अनुसार झाँसी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन हो गया था . झाँसी रानी ने अपनी झाँसी की  रक्षा के लिए मरते दम तक संगर्ष कर भारत के आज़ादी के पन्नो में सदा सदा के लिए अमर हो गयी .हर साल १८ जून को इनका बलिदान दिवस झाँसी में मनाया जाता है, 

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