नीलम शनि का रत्न है. यह नीले
, आसमानी और बैंगनी रंग में पाया जाने वाला
रत्ना है . अपने देश में कश्मीर और सालेम में पाया जाता है .नीलम की
पहचान के लिए चन्द्र किरणों के सामने एक दूध की प्याली में नीलम को रखें तो
यदि नीली आभा निकले तो वह सुपर क्वालिटी का नग होता है . नीलम तभी पहने जब वह शुभ भाव में हो . जिस नीलम
के अन्दर सफेदी हो तथा बाहर की ओर नीलिमा
हो तो वह नग सुंदर माना जाता है . इसे जलनील कहते हैं .जिस नीलम के अन्दर कालापन सा
हो वह इन्द्रनील कहलाता है.
यह एक खतरनाक रत्न भी है
.इसको परखने के बाद ही इसे पहनना चाहिये . इसे शनिवार के दिन गंगाजल से धोकर मंत्न
जाप करने के बाद पहनना चाहिए .पहनने के पहले तीन – चार रातें इसे तकिये के नीचे
रखकर इसकी हानि और शुभता की परख करनी चाहिए .इसे लोहा या स्टील की धातु में बनवाना
चाहिए . चांदी और पंचधातु में भी बनवा
सकते हैं. इसे मिडिल फिंगर में पहन सकते हैं.
मिथुन ,कन्या ,मकर ,तुला , कुम्भ और वृष लग्न वालो के लिए यह रत्ना
शुभ होता है . वृष ---------
इस लग्न के लिये शनि लग्नेश शुक्र के मित्र है. व शनि कि स्थिति यहां पर नवमेश व दशमेश की होती है. इस लग्न के लिये शनि सबसे अधिक शुभ फल देने वाले ग्रह है. इस लग्न के व्यक्तियों को नीलम रत्न, हीरे के साथ धारण करना चाहिए.
मिथुन लग्न कि कुंडली में शनि अष्टम भाव व नवम स्थान का स्वामी बनता है. शनि मिथुन लग्न के लिये शुभ होने के कारण, इस लग्न का व्यक्ति अगर नीलम धारण करें तो उसके लाभदायक रहता है. इसके साथ ही ऎसे व्यक्तियों को लग्नेश बुध आ रत्न पन्ना व नीलम दोनों एक साथ धारण करने चाहिए.
कर्क लग्न की कुंडली में शनि सप्तम और अष्टम स्थान के स्वामी होते है. अत: कर्क लग्न के व्यक्ति को नीलम धारण नहीं करना चाहिए.
सिंह लग्न की कुण्डली में शनि छठे व सांतवें भाव के स्वामी होते हे. इस लग्न के व्यक्तियों को नीलम धारण करने से बचना चाहिए. अगर विशेष परिस्थितियों में इसे धारण करना ही पडे तो केवल शनि महादशा में इसे धारण करना चाहिए.
कन्या लग्न के लिये शनि पंचम व छठे भाव का स्वामी बनता है. कन्या लग्न के व्यक्तियों का नीलम रत्न धारण करना शुभ रहेगा.
तुला लग्न की कुण्डली में शनि चतुर्थ व पंचम भाव के स्वामी है. इस लग्न के व्यक्ति इस रत्न को धारण करने पर लाभ प्राप्त करेगें.
वृ्श्चिक लग्न की कुण्डली में शनि तीसरे व चतुर्थ भाव के स्वामी है. इस लग्न के लिये ये शुभ नहीं है. इस स्थिति में इस लग्न के व्यक्तियों को नीलम रत्न धारण नहीं करना चाहिए.
धनु लग्न के लिये शनि दूसरे व तीसरे स्थान का स्वामी है. कुंडली के इन दोनों भावों को अशुभ माना जाता है. केवल परिवार व संचय दोनौं ही स्थितियों में इस रत्न को धारण किया जा सकता है. वह भी अगर शनि महादशा में धारण किया जाये तो शुभ रहता है.
मकर लग्न के शनि तीसरे भाव के स्वामी व लग्नेश होते है. लग्नेश होने के कारण शुभ ग्रह है. लग्नेश शनि का रत्न धारण करने से इस लग्न के व्यक्तियों को लाभ प्राप्त होगा.
कुंभ लग्न की कुण्डली में शनि एकादश व द्वादश स्थान का स्वामी है. कुंभ लग्न के व्यक्ति शनि रत्न नीलम धारण करें.
Makar lagna ke liye shani tisare bhav ke swami kaise ?
ReplyDeleteWill blue sapphire suits ?, vrishika (scorpio) ascendent, makara (capricorn) rashi, benefic Saturn (zero power) in 11th house in conjuction with malefic Mars (full power) in Virgo, ascendent in anuradha nakshtra (Saturn is presiding diety),
ReplyDeletesee more - https://bit.ly/2opunmu