पञ्च महापुरुष योग
ज्योतिष शास्त्र में जातक की कुंडली में
ग्रहों की स्तिथी के आधार पर बन रहे विभिन्न प्रकार के योगो का बहुत महत्व होता
है. इन्ही योगो के आधार पर ही जातक का जीवन संचालित होता है .ज्योतिष ग्रंथो ‘
जातक सारावली ,
जातकसार वृहत्संहिता , वृहत्जातक
, जातक पारिजात और मानसागरी जैसे ग्रंथों में इनका विस्तार से विवेचन किया गया है
. आजकल के बदलते परिवेश में बहुत से योगो की स्तिथि बदल चुकी है . हमारे बीस वर्षो
के अनुसन्धान में जो योग लोगो की कुंडली में पाए गए हैं.उनका उनके जीवन पर कैसा फल
घटित हुआ है . उनको क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करता रहूँगा . सबसे पहले पञ्च
महापुरुष योग के बारे में जो वर्तमान में पाया है उसका परिचय प्रस्तुत करता हूँ .
रुचक
योग – जब
जातक की कुंडली में मंगल ग्रह उच्च ,स्वग्रही , मूल त्रिकोण में बैठकर केंद्र में
हो तो यह पोजीशन रुचक योग कहलाती है.इस प्रकार के जातक मजबूत शरीर वाले होते हैं. इनमे विशेष काँटी होती है. ये धनी
,शस्त्र व् शास्त्रज्ञाता , मंत्र और अभिचार क्रिया में कुशल होता है .राजा से
सम्मान मिलता है.शत्रुजीत , कोमल मन वाला , त्यागी , धनी सुखी ,सेनापति और वाहन और
अश्व प्रेमी होता है.
No comments:
Post a Comment