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Saturday 13 July 2013

anga vichar

अंग विचार
अंग विचार करने हेतु सबसे पहले अंग की राशी को देखते हैं.इस राशी में गृह कैसा बैठा है .भावेश किस राशी और भाव में है. यदि उसमे कोई गृह है तो तो वह किस राशी का स्वामी है. यदि अंग स्थान में एक से अधिक गृह है तो बलवान गृह के अनुसार अंग लघु , सम और दीर्घ होगा.
                          शरीरांग चक्र
क्रम
राशि
अंग
१.
मेष
मस्तक , शिर
२.
वृष
चेहरा , मुख
३.
मिथुन
छाती
४.
कर्क
हृदय
५.
सिंह
पेट
६.
कन्या
कमर
७.
तुला
नाभि के नीचे ( वस्ति )
८.
वृस्चिक
जननांग
९.
धनु
जांघे
१०.
मकर
घुटने
११.
कुम्भ
टान्गे , पिण्डली
१२.
मीन
पैर

जिस राशिमें शुभ गृह युत या द्रष्ट हो .उस राशिका काल पुरुष के शारीर के जिस भाग में हो वह अंग सुडौल होगा . यदि राशि में पाप गृह है तो उस अंग में रोग होगा .यदि लग्नेश लग्न में हो तो जातक सुडौल , पुष्ट और पराक्रमी होता है.
वर्ण  विचार
जातक का रंग कैसा होगा यह जातक के लग्न और लग्नेश की स्तिथि पर निर्भर करता है. यदि लग्न पर पाप गृह की द्रष्टि हो तो जातक कुरूप हो सकता है. यदि शुभ गृह की द्रष्टि हो तो जातक सुंदर होता है.इसी प्रकार लग्नेश और षस्ठेश एक साथ हो तो जातक श्यामवर्ण का होता है. इस प्रकार बुध और शुक्र एक साथ कहीं हो तो जातक सुंदर होता है.


लग्न राशी
रंग

लग्न में ग्रह
रंग
लग्न में ग्रह का प्रभाव
मेष
लाल सफ़ेद का मिश्रण
सूर्य
रक्त - श्यामवर्ण
नेत्र दोष
वृष
पीतयुत सफ़ेद
चन्द्र
गोरा
सुडौलता नहीं
मिथुन
गहरा लाल सा सफ़ेद
मंगल
सम
चेहरे पर दाग
कर्क
नीलापन
बुध
श्यामल
चेचक के दाग
सिंह
धूसर
गुरु
कंचन
कम आयु में वृद्ध , सफ़ेद बाल, ४५ में दांत गिरने लगते हैं .
कन्या
साँवला
शुक्र
श्यामल
आकर्षक
तुला 
लालिमा युत काला
शनि
काला
कुरूपता
वृश्चिक
बादामी सा
राहू
काला
चेहरे पर काले दाग
धनु
पीलापन
केतु
धूँआ सा
चेहरे पर दाग
मकर
चितकबरा
-
-
-
कुम्भ
नीलापन
-
-
-
मीन
गोरा
-
-
-

Friday 12 July 2013

aakriti nirnaya

राशि
तत्त्व
जल भाग
कद
मेष
अग्नि
पाद जल
हृश्व
वृष
पृथ्वी
अर्ध् जल
हृश्व
मिथुन
वायु
निर्मल
सम
कर्क
जल
पूर्ण जल
सम
सिंह
अग्नि
निर्जल
दीर्घ
कन्या
पृथ्वी
निर्जल
दीर्घ
तुला
वायु
पाद जल
दीर्घ
वृश्चिक
जल
पाद जल
सम
धनु
अग्नि
अर्ध  जल
सम
मकर
पृथ्वी
पूर्ण जल
हृश्व
कुम्भ
वायु
अर्ध जल
हृश्व
मीन
जल
पूर्ण जल
हृश्व

                        
यदि लग्न में जलराशि (कर्क ,वृश्चिक , मीन) और जल ग्रह ( चन्द्र ,बुध , गुरु , शुक्र ) हो तो जातक मोटा होता है .
इसी प्रकार लग्न व् लग्नेश जल राशिगत हो तो तो शरीर मोटा होता है. यदि इसे शुभ ग्रह देख रहे वहो तो शरीर पुष्ट होता है .
यदि लग्न में अग्नि राशि ( मेष , सिंह , धनु ) और अग्नि ग्रह (सूर्य , मंगल) हो तो शरीर दुर्बल पर बलशाली होता है.

ग्रह
प्रकृति
तत्त्व
कद
सूर्य
शुष्क
अग्नि
सम
चन्द्र
जल
जल
दीर्घ
मंगल
शुष्क
अग्नि
हृश्व
बुध
जल
पृथ्वी
सम
गुरु
जल
वायु
मध्यम
शुक्र
जल
जल
मध्यम
शनि
शुष्क
वायु
दीर्घ

इसी प्रकारअग्नि और वायु राशि लग्न में हो लग्नेश पृथ्वी राशि में हो तो शरीर ठोस , पुष्ट , मजबूत अस्थियो वाला होता है .
अग्नि व् वायु राशि लग्न में और लग्नेस्ज जल राशि में हो तो शरीर मोटा होता है यदि वायु लग्न और वायु ग्रह हो तो शरीर दुर्बल पर ब्रेन तेज़ होता है.
यदि लग्न में पृथ्वी रासी व् ग्रह हो तो नाटा जातक होगा .
लग्न में पृथ्वी राशि और लग्नेश पृथ्वी राशि में हो तो जातक मोटा व् मजबूत होगा .

 लग्न में पृथ्वी राशि व् लग्नेश जल राशि में तो स्थूल  होगा