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Wednesday 29 May 2013

graho se vichar

ग्रहों के कारकत्व
सूर्य - आत्मा , पिता , प्रभाव , यश , शक्ति , धन और स्वास्थ्य 
चन्द्र - मन , बुद्धमानी , माता, राज्य  ,कृपा, सम्पति 
मंगल- साहस , रोग ,शुभ ,छोटा भाई ,भूमि , शत्रु
बुध - विद्या , बंधू , विवेक ,मित्र , वाणी ,कार्य करने की शक्ति ,
गुरु- धन , शरीर ,ज्ञान,पुत्र ,देह ,सुन्दरता 
शुक्र - पत्नी , वहां ,आभूषण , प्रेम , सुख , प्यार 
शनि -आयु , जीविका , नौकरी , विपत्ति , मृत्यु 
राहु - दादा 
केतु - नाना

Tuesday 21 May 2013

kundli ke bhav se vicharniya vishaya


भाव और उससे  विचारणीय विषय
प्रथम भाव
तन भाव
रूप
चरित्र 
रंग शरीर
कद
यश सिर
स्वास्थ्य
गुण
प्रारम्भिक जीवन
बचपन,मुख
प्रकृति,स्वभाव
ऐश्वर्य
द्वितीय भाव
धन भाव
कुटुंब
कोष
आंख
मित्र 
दन्त रोग
जीभ
नाक
जेल 
गायन
स्वर
वाक् शक्ति
स्मरण
शक्ति
कल्पना शक्ति
मृत्यु  का कारण
तृतीय भाव
पराक्रम भाव
छोटे भाई बहिन
कान
गले के रोग
शौर्य
किडनी , खांसी, स्वांश रोग
भतीजे /भतीजी
धैर्य
दया ,नौकर ‘व्यापार
चतुर्थ भाव
सुखभाव
माँ
वाहन
भवन
पेट रोग
जायदाद
घरेलु जीवन
मानसिकशांति

पंचम भाव
विद्या भाव
ब्रेन पॉवर
संतान
उदर रोग
लाँटरी
सट्टा
मैनेजमेंट
देशभक्ति
यश
दादा , धन मिलने का उपाय ,मूत्र रोग , धन प्राप्ति
षष्ठ भाव
शत्रु भाव
चिंता
रोग
भय
मुक़दमा
झगडे
क़र्ज़
दुःख
छुरेबाजी
पीड़ा
गुर्दा रोग
कमर दर्द
ननिहाल, परतंत्रता ,क्षति
सप्तम भाव
जीवन साथी
पार्टनर शिप
भोग
विलास
दैनिक व्यवसाय
विवाह
प्रेम
गुप्तरोग
स्त्री का स्वभाव , रूप रंग शील चरित्र
काम क्रीड़ा
पाइल्स
मदन पीड़ा
प्रेम की बदनामी
मारक स्थान
अष्टम भाव
मृत्यु भाव
आयु
यौन रोग ॠण
समुद्र यात्रा
धन प्राप्ति
पुरातत्व
प्रेम
अपमृत्यु
संग्राम
पूर्व जन्म का ज्ञान
मानसिक बाधा ,
विदेश यात्रा,  द्रव्य नष्ट
नवम भाव
भाग्य भाव
धर्म
गुरु
ताप , दान
पुण्य ,ईश्वर प्राप्ति
तीर्थ
धर्म परिवर्तन , मानसिक वृति
विदेश यात्रा
वायुयान यात्रा ,यज्ञ

पित्र सुख
पोते पोती का स्वभाव , भाग्य उन्नति व् अवनति , ऐश्र्व्र्र्य ,कट्टरता
दशम भाव
कर्म भाव
राज्य
नौकरी
पितृ सुख
मान
व्यापार . आजीविका का साधन
अधिकार
जीवन शैली
भोग , कीर्ति . इज्ज़त , पितृ द्रव्य
एकादश भाव
आय भाव
लाभ
गुप्त धन
राज द्रव्य
बड़े भाई
आभूषण , वस्त्र पशु
स्वतंत्र चिंतन
मोटर
वायुयान यात्रा
अश्व प्रेम
द्वादश भाव
व्यव भाव
हानि
दूर यात्रा
दान
धोखा
दंड
क़त्ल ‘ फरेब अपमान
नेत्र
पीड़ा
बाहरी स्थानों से लाभ , बाएं कान के रोग
आकस्मिक खर्चे , फिजूल खर्चे
सदगति
जेल , दुर्भाग्य , गुप्त शत्रु , ॠण,विदेश में जीवन यापन

Sunday 19 May 2013

karan phal

करण फल
बव में जन्म का फल - जातक सम्मानीय , शुभ , धर्मात्मा और स्थिर कार्य को करने वाला होता हैं.
बालव में जनम का फल - विद्या , अर्थ , सुख , राजमान्य और देव भक्त होता है.
कौलव में जनम का फल - मित्र लाभ , स्वाभिमान और प्रीती वाला होता है.
तैतिल में जनम का फल - धनी, स्नेही , भवन सुख मिलाता है.
गर में जन्म का फल - कृषि , घर के कार्य में तत्पर होता है.
वणिज में जन्म फल - व्यापर से लाभ ,दूर स्थानों से लाभ मिलता हैं .
विष्टि का जन्म का फल - अनुचित कर्म करने वाला , परस्त्री से लगाव होता है.
शकुनि में जन्म का फल - औषधि बनाने में निपुण , विवादों को निपटने में कुशल होता है .
चतुष्पद में जन्म का फल - भक्त व् दयालु , पशु का डॉक्टर होता हैं .
नाग में जनम का फल - प्रेमी , चंचल , बड़े नेत्र वाला , कठिन कार्य करने वाला होता हैं .
किन्स्तुघन में जन्म का फल - शुभ कार्य करने वाला ,तुष्टि , पुष्टि , मंगल व् अभीष्ट की प्राप्ति करने वाला होता हैं .

Friday 17 May 2013

karan


करण
तिथियों के आधे भाग को करण कहते हैं .१ करण १२ घंटे का होता हैं कुल ११ करण होते हैं जिसमे ७ चर व् ४ स्थिर करण होते हैं . विष्टि  करण का नाम भद्रा है इस में सभी शुभ कार्य करना हानि ही देता है .कृष्ण पक्ष में भद्रा  तृतीया और दशमी के उतरार्ध में . कृष्ण पक्ष की सप्तमी व् चतुर्दशी के पूर्वाद्ध में . शुक्ल पक्ष के चतुर्थी व् एकादशी के पूर्वाद्ध में . अष्टमी व् पूर्णमासी पूर्वाद्ध में भद्रा में सभी कार्य त्याज्य होते हैं .
क्रम  करण का नाम            स्वामी
     चर करण
१.    बव                      इंद्र
२.     बालव                   ब्रह्मा
३.    कौलव                    सूर्य
४.    तैतिल                    सूर्य
५.    गर                      पृथवी
६.    वणिज                   लक्ष्मी
७.    विष्टि                    यम
स्थिर करण
१.    शकुनि                   कलयुग
२.    चतुष्पद                 रूद्र
३.    नाग                    सर्प
४.    किन्स्तुम्भ               वासु
सौर , बैशाख , ज्येष्ठ , मार्ग , आषाढ़ के भद्र शुभ फल देता है .
फाल्गुन , भादों , चैत्र , सावन – इसमें कार्य का विनाश होता है .
पौष , माघ , कार्तिक ,आश्विन – इस भद्रा में धन संचय होता हैं.