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Sunday 31 March 2013

GOCHAR GRAHO KA PHAL -3


                 गोचर ग्रहों का जातक पर फल – 3

गोचर शुक्र का प्रथम भाव में प्रभाव –जब शुक्र यहाँ पर आता है तब सुख ,आनंद ,वस्त्र , फूलो से प्यार , विलासी जीवन ,सुंदर स्थानों का भ्रमण  ,सुगन्धित पदार्थ पसंद आते है .विवाहिक जीवन के लाभ प्राप्त होते हैं .
द्वीतीय भाव में – यहाँ पर शुक्र संतान , धन , धान्य , राज्य से लाभ , स्त्री के प्रति आकर्षण और परिवार के प्रति हितकारी काम करवाता हैं.
तृतीय भाव – इस जगह प्रभुता ,धन ,समागम ,सम्मान ,शास्त्र , वस्त्र का लाभ दिलवाता हैं .यहाँ पर नए स्थान की प्राप्ति और शत्रु का नाश करवाता हैं .
चतुर्थ भाव –इस भाव में मित्र लाभ और शक्ति की प्राप्ति करवाता हैं .
पंचम भाव – इस भाव में गुरु से लाभ ,संतुष्ट जीवन , मित्र –पुत्र –धन की प्राप्ति करवाता है . इस भाव में शुक्र होने से भाई का लाभ भी मिलता है.
छठा भाव –इस भाव में शुक्र रोग , ज्वर ,और असम्मान दिलवाता है .
सप्तम भाव – इसमें सम्बन्धियों को नाश करवाता हैं .
अष्टम भाव – इस भाव में शुक्र भवन , परिवार सुख , स्त्री की प्राप्ति करवाता है .
नवम भाव- इसमें धर्म ,स्त्री ,धन की प्राप्ति होती हैं .आभूषण व् वस्त्र की प्राप्ति भी होती है .
दशम भाव – इसमें अपमान और कलह मिलती है.
एकादश भाव – इसमें मित्र ,धन ,अन्न ,प्रशाधन सामग्री मिलती है .
द्वादश भाव – इसमें धन के मार्ग बनते हिया परन्तु वस्त्र लाभ स्थायी नहीं होता हैं .


शनि की गोचर दशा
प्रथम भाव – इस भाव में अग्नि और विष का डर होता है. बंधुओ से विवाद , वियोग , परदेश गमन , उदासी ,शरीर को हानि , धन हानि ,पुत्र को हानि , फालतू घूमना आदि परेशानी आती है .
द्वितीय भाव – इस भाव में धन का नाश और रूप का सुख नाश की ओर जाता हैं .
तृतीय भाव – इस भाव में शनि शुभ होता है .धन ,परिवार ,नौकर ,वाहन ,पशु ,भवन ,सुख ,ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है .सभी शत्रु हार मान जाते हैं .
चतुर्थ भाव –इस भाव में मित्र ,धन ,पुत्र ,स्त्री से वियोग करवाता हैं .मन में गलत विचार बनने लगते हैं .जो हानि देते हैं .
पंचम भाव – इस भाव में शनि कलह करवाता है जिसके कारण स्त्री और पुत्र से हानि होती हैं .
छठा  भाव – ये शनि का लाभकारी स्थान हैं. शत्रु व् रोग पराजित होते हैं .सांसारिक सुख मिलता है .
सप्तम भाव – कई यात्रायें करनी होती हैं . स्त्री – पुत्र से विमुक्त होना पड़ता हैं .
अष्टम भाव – इसमें कलह व् दूरियां पनपती हैं.
नवम भाव -  यहाँ पर शनि बैर , बंधन ,हानि और हृदय रोग देता हैं .
दशम भाव – इस भाव में कार्य की प्राप्ति , रोज़गार , अर्थ हानि , विद्या व् यश में कमी आती हैं
एकादश भाव – इसमें परस्त्री व् परधन की प्राप्ति होई हैं .
द्वादश भाव – इसमें शोक व् शारीरिक परेशानी आती हैं .
शनि की २,१,१२ भावो के गोचर को साढ़ेसाती और ४ ,८ भावो के गोचर को ढ़ैया कहते हैं .
शुभ दशा में गोचर का फल अधिक शुभ होता हैं .अशुभ गोचर का फल परेशान करता हैं .इस उपाय द्वारा शांत करवाना चाहिए .अशुभ दस काल मे शुभ फल कम मिलता हैं .अशुभ फल ज्यादा होता हैं 

.
पूजा कैसे करें – जब सूर्य और मंगल अशुभ हो तो लाल फूल , लाल चन्दन ,केसर , रोली , सुगन्धित  पदार्थ से पूजा करनी चाहिए . सूर्य को जलदान करना चाहिए .शुक्र की पूजा  सफ़ेद फूल, व् इत्र के द्वारा  दुर्गा जी की पूजा करनी चाहिए .  शनि की पूजा काले फूल ,नीले फूल व् काली  वस्तु का दान करके शनि देव की पूजा करनी चाहिए . गुरु हेतु पीले फूल से विष्णु देव की पूजा करनी चाहिए .बुध हेतु दूर्वा घास को गाय को खिलाएं .

Saturday 30 March 2013

Gochar Grahon ka phal -2


गोचर ग्रहों का जातक पर फल -2  
मंगल ग्रह का प्रभाव गोचर में इस प्रकार से होता है.प्रथम भाव में जब मंगल आता है .तो रोग्दायक हो कर बवासीर ,रक्त  विकार ,ज्वर , घाव , अग्नि से डर ,  ज़हर और अस्त्र से हानि देता है.
द्वतीय भाव में –यहाँ पर मंगल से पित ,अग्नि ,चोर से खतरा ,राज्य से हानि , कठोर वाणी के कारण हानि , कलह और शत्रु से परेशानियाँ आती है .
तृतीय भाव – इस भाव में मंगल के आ जाने से चोरो और किशोरों के माध्यम से धन की प्राप्ति होती है शत्रु डर जाते हैं . तर्क शक्ति प्रबल होती है. धन , वस्त्र , धातु की प्राप्ति होती है . प्रमुख पद मिलता है .
चतुर्थ भाव में – यहं पर पेट के रोग ,ज्वर , रक्त विकार , शत्रु पनपते हैं .धन व् वस्तु की कमी होने लगती है .गलत संगती से हानि होने लगती है . भूमि विवाद , माँ को कष्ट , मन में भय , हिंसा  के कारण हानि होने लगती है .
पंचम भाव – यहाँ पर मंगल के कारण शत्रु भय , रोग , क्रोध , पुत्र शोक , शत्रु शोक , पाप कर्म होने लगते हैं . पल पल स्वास्थ्य गिरता रहता है .
छठा भाव – यहाँ पर मंगल शुभ होता है . शत्रु हार जाते हैं . डर भाग जाता हैं . शांति मिलती है. धन – धातु के लाभ से लोग जलते रह जाते हैं .
सप्तम भाव – इस भाव में स्त्री से कलह , रोग ,पेट के रोग , नेत्र विकार होने लगते हैं .
अष्टम भाव में – यहाँ पर धन व् सम्मान में कमी और रक्तश्राव की संभावना होती है .
नवम भाव – यहाँ पर धन व् धातु हानि , पीड़ा , दुर्बलता , धातु क्षय , धीमी क्रियाशीलता हो जाती हैं.
दशम भाव – यहाँ पर मिलाजुला फल मिलता हैं,
एकादश भाव – यहाँ मंगल शुभ होकर धन प्राप्ति ,प्रमुख पद दिलाता हैं.
द्वादश भाव – इस भाव में धन हानि , स्त्री से कलह नेत्र वेदना होती है . 





बुध का गोचर में प्रभाव –
प्रथम भाव में – इस भाव में चुगलखोरी अपशब्द , कठोर वाणी की आदत के कारण हानि होती है .कलह  बेकार की यात्रायें . और अहितकारी वचन से हानियाँ होती हैं .
द्वीतीय भाव में – यहाँ पर बुध अपमान दिलाने के बावजूद धन भी दिलाता है .
तृतीय भाव – यहाँ पर शत्रु और राज्य भय दिलाता है . ये दुह्कर्म की ओर ले जाता है .यहाँ मित्र की प्राप्ति भी करवाता है .
चतुर्थ भाव् – यहाँ पर बुध शुभ होकर धन दिलवाता है .अपने स्वजनों की वृद्धि होती है .
पंचम भाव – इस भाव में मन बैचैन रहता है . पुत्र व् स्त्री से कलह होती है .
छठा भाव – यहाँ पर बुध अच्छा फल देता हैं. सौभाग्य का उदय होता है . शत्रु पराजित होते हैं . जातक उन्नतशील होने लगता है . हर काम में जीत होने लगते हैं
सप्तम भाव – यहं पर स्त्री से कलह होने लगती हैं .
अष्टम भाव – यहाँ पर बुध पुत्र व् धन लाभ देता है .प्रसन्नता भी देता है .
नवम – यहाँ पर बुध हर काम में बाधा डालता हैं .
दशम भाव – यहाँ पर बुध लाभ प्रद हैं. शत्रुनाशक ,धन दायक ,स्त्री व् शयन सुख देता है .
एकादश भाव में – यहाँ भी बुध लाभ देता हैं . धन , पुत्र , सुख , मित्र ,वाहन ,  मृदु वाणी प्रदान करता है .
द्वादश भाव- यहाँ पर रोग ,पराजय और अपमान देता है


गुरु का गोचर प्रभाव- प्रथम भाव में =======
इस भाव में धन नाश ,पदावनति , वृद्धि का नाश , विवाद ,स्थान परिवर्तन दिलाता हैं           .द्वितीय भाव में – यहाँ पर धन व् विलासता भरा जीवन दिलाता है .
तृतीय भाव में – यहाँ पर काम में बाधा और स्थान परिवर्तन करता है .
चतुर्थ भाव में – यहाँ पर कलह , चिंता पीड़ा दिलाता है .
पंचम भाव – यहाँ पर गुरु शुभ होता है .पुत्र , वहां ,पशु सुख , घर ,स्त्री , सुंदर वस्त्र आभूषण , की प्राप्ति करवाता हैं .
छथा भाव में – यहाँ पर दुःख और  पत्नी से अनबन  होती है.
सप्तम भाव – सैय्या , रति सुख , धन , सुरुचि भोजन , उपहार , वहां .,वाणी , उत्तम वृद्धि करता हैं .
अष्टम भाव – यहाँ बंधन ,व्याधि , पीड़ा , ताप ,शोक , यात्रा कष्ट , मृत्युतुल्य परशानियाँ देता है .
नवम भाव में – कुशलता ,प्रमुख पद , पुत्र की सफलता , धन व् भूमि लाभ , स्त्री की प्राप्ति होती हैं .
दशम  भाव में- स्थान परिवर्तन में हानि , रोग ,धन हानि
एकादश भाव – यहाँ सुभ होता हैं . धन ,आरोग्य और अच्छा स्थान दिलवाता है .
द्वादश भाव में – यहाँ पर मार्ग भ्रम पैदा करता है .












Friday 29 March 2013

Gochar Graho ka phal -1


गोचर ग्रहों का जातक पर फल
 गोचर ग्रहों से यह मतलब होता है की वर्तमान में आसमान में ग्रह किन राशियों में भ्रमण कर रहे है. गोचर ग्रहों का अध्ययन जातक की चन्द्र राशि से किया जाता है . गोचर ग्रहों का जातक के वर्तमान जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है .यदि गोचर मे सूर्य जनम राशी से इन भावो में हो तो इसका फल इस प्रकार होता है .
प्रथम भाव में – इस भाव में होने पर रक्त में कमी की सम्भावना होती है . इसके अलावा गुस्सा आता है  पेट में रोग और कब्ज़ की परेशानी आने लगती है . नेत्र रोग , हृदय रोग ,मानसिक अशांति ,थकान और सर्दी गर्मी से पित का प्रकोप होने लगता है .इसके आलवा फालतू का घूमना , बेकार का परिश्रम , कार्य में बाधा ,विलम्ब ,भोजन का समय में न मिलना , धन की हानि , सम्मान में कमी होने लगती है परिवार से दूरियां बनने लगती है .
द्वितीय भाव में – इस भाव में सूर्य के आने से धन की हानि ,उदासी ,सुख में कमी , असफ़लत अ, धोका .नेत्र विकार , मित्रो से विरोध , सिरदर्द , व्यापार में नुकसान होने लगता है .
तृतीय भाव में – इस भाव में सूर्य के फल अच्छे होते है .यहाँ जब सूर्य होता है तो सभी प्रकार के लाभ मिलते है . धन , पुत्र ,दोस्त और उच्चाधिकारियों से अधिक लाभ मिलता है . जमीन का भी फायदा होता है . आरोग्य और प्रसस्नता मिलती है . शत्रु हारते हैं . समाज में सम्मान प्राप्त होता है .
चतुर्थ भाव – इस भाव  में सूर्य के होने से ज़मीन सम्बन्धी , माता से , यात्रा से और पत्नी से समस्या आती है . रोग , मानसिक अशांति और मानहानि के कष्ट आने लगते हैं .
पंचम भाव – इस भाव में भी सूर्य परेशान करता है .पुत्र को परेशानी , उच्चाधिकारियों से हानि और रोग व् शत्रु उभरने लगते है .
६ ठे भाव में – इस भाव में सूर्य शुभ होता है . इस भाव में सूर्य के आने पर रोग ,शत्रु ,परेशानियां शोक आदि दूर भाग जाते हैं .
सप्तम भाव में – इस भाव में सूर्य यात्रा ,पेट रोग , दीनता , वैवाहिक जीवन के कष्ट देता है स्त्री – पुत्र बीमारी से परेशान हो जाते हैं .पेट व् सिरदर्द की समस्या आ जाती है . धन व् मान में कमी आ जाती है .
अष्टम भाव में – इस में सूर्य बवासीर , पत्नी से परेशानी , रोग भय , ज्वर , राज भय , अपच की समस्या पैदा करता  है .
नवम भाव में – इसमें दीनता ,रोग ,धन हानि , आपति , बाधा , झूंठा आरोप , मित्रो व् बन्धुओं से विरोध का सामना करन पड़ता है .
दशम भाव में – इस भाव में सफलता , विजय , सिद्धि , पदोन्नति , मान , गौरव ,  धन , आरोग्य , अच्छे मित्र की प्राप्ति होती है .
एकादश भाव में – इस भाव में विजय , स्थान लाभ , सत्कार , पूजा , वैभव ,रोगनाश ,पदोन्नति , वैभव  पितृ लाभ . घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं .
द्वादश भाव में – इस भाव में सूर्य शुभ होता है .सदाचारी बनता है , सफलता दिलाता है अच्छे कार्यो के लिए , लेकिन पेट , नेत्र रोग , और मित्र भी शत्रु बन जाते हैं .

चन्द्र की गोचर भाव के फल
प्रथम भाव में – जब चन्द्र प्रथम भाव में होता है तो जातक को सुख , समागम , आनंद व् निरोगता का लाभ होता है . उत्तम भोजन ,शयन सुख , शुभ वस्त्र की प्राप्ति होती है .
द्वितीय भाव -  इस भाव में जातक के सम्मान और धन में बाधा आती है .मानसिक तनाव ,परिवार से अनबन , नेत्र विकार , भोजन में गड़बड़ी हो जाती है . विद्या की हानि , पाप कर्मी और हर काम में असफलता मिलने लगती है .
तृतीय भाव में – इस भाव में चन्द्र शुभ होता है .धन , परिवार ,वस्त्र , निरोग , विजय की प्राप्ति शत्रुजीत मन खुश रहता है , बंधु लाभ , भाग्य वृद्धि ,और हर तरह की सफलता मिलती है .
चतुर्थ भाव में इस भाव में शंका , अविश्वास , चंचल मन , भोजन और नींद में बाधा आती है .स्त्री सुख में कमी , जनता से अपयश मिलता है , छाती में विकार , जल से भय होता है .
पंचम भाव में – इस भाव में दीनता , रोग ,यात्रा में हानि , अशांत , जलोदर , कामुकता की अधिकता और मंत्रणा शक्ति में न्यूनता आ जाती है .
सिक्स्थ भाव में – इस भाव में धन व् सुख लाभ मिलता है . शत्रु पर जीत  मिलती है .निरोय्गता ,यश आनंद , महिला से लाभ मिलता है .
सप्तम भाव में – इस भाव में वाहन की प्राप्ति होती है. सम्मान , सत्कार ,धन  , अच्छा भोजन , आराम  काम सुख , छोटी लाभ प्रद यात्रायें , व्यापर में लाभ और यश मिलता है .
अष्टम भाव में – इस भाव में जातक को भय , खांसी , अपच . छाती में रोग , स्वांस रोग , विवाद ,मानसिक कलह , धन नाश और आकस्मिक परेशानी आती है.
नवम भाव में – बंधन , मन की चंचलता , पेट रोग ,पुत्र से मतभेद , व्यापार हानि , भाग्य में अवरोध , राज्य से हानि होती है .
दशम भाव में – इस में सफलता मिलती है . हर  काम आसानी से होता है . धन , सम्मान , उच्चाधिकारियों से लाभ मिलता है . घर का सुख मिलता है .पद लाभ  मिलता है . आज्ञा देने का सामर्थ्य आ जाता है .
एकादश भाव में – इस भाव में धन लाभ , धन संग्रह , मित्र समागम , प्रसन्नता , व्यापार लाभ , पुत्र से लाभ , स्त्री सुख , तरल पदार्थ और स्त्री से लाभ मिलता है .
द्वादस भाव में – इस भाव में धन हानि ,अपघात , शारीरिक हानियां होती है .







Wednesday 27 March 2013


                       HAPPY HOLI


मेरे सभी परिवारिक सदस्यों , मित्रगणों , शुभचिंतको और भक्तगणों को होली के रंग भरे पावन पर्व पर गौर् जी  की दिल से निकली सतरंगी फुहार से आने वाला सारा समय सराबोर रहे . होली की मस्ती हमेशा उनके जीवन में रहे . दुःख की बदली की जगह उनके ऊपर सदा ख़ुशी के रंगों की बारिश होती रहे . यही मेरी कामना है . उनका जीवन रंगों से सदैव झिलमिलाता रहे . आने वाला पल जाने वाले पल से ज्यादा हसीं हो . मस्ती के रंग में झूम के होली खेलें . इन्ही शब्दों के साथ होली का हुलास आपको मुबारक हो  .
                                               
                           एस्ट्रोलोजर अमरेन्द्र गौर & श्रीमती शांति सिंह





 www.astrologeramrendragaur.blogspot.in

Tuesday 26 March 2013

HOLI KE RANG


HOLI – FESTIVAL OF COLOURS
होली रंगों का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है . अमीर हो चाहे गरीब सभी लोग एक दूसरे पर रंग डालकर और गले मिलकर पुरानी बातों को भूलकर जीवन के नई राहों की ओर कदम रखते हैं. सभी लोग दुश्मनी भूलकर यारो के यार बन जाते हैं ,  होली के पर्व के पहले होलिका दहन होता है .इस दिन रात में लकड़ी के ढेर को एकत्र कर उसकी पूजा करने  के बाद होलिका दहन की जाती है . कहा जाता है की प्राचीन काल में राजा ह्रिंरणकश्यप अपने आप को भगवान मानता था . उसका पुत्र प्रह्लाद भगवन विष्णु पर आस्था रखता था. राजा ह्रिंरणकश्यप ने सभी को आदेशित किया था कि मेरे अलावा किसी की पूजा न की जाए .परन्तु उसका पुत्र नहीं माना तो उसे मारने के लिए जहर दिया गया लेकिन जहर अमृत में बदल गया . भक्त प्रह्लाद को बहुत सारी यातनाये दी गए परन्तु प्रह्लाद का कुछ भी नहीं हुआ . अंत में प्रहलाद की बुआ राक्ष्नी होलिका उसे लेकर एक आग के ढेर में बैठ गयी ताकि प्रह्लाद आग में जलकर मर जाए . होलिका को आग से न जलने का वरदान था. जब आग जली मतो प्रह्लाद ने भगवन विष्णु को पुकारा .अपने भक्त की रक्षा के लिया भगवन विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया और होलिका आग में जालकर  भस्म हो गई . उसे घटना की याद में होली का पर्व मनाया जाता है . होली का पर्व हमारे कानपुर में बहुत हर्ष के साथ मनाया जाता है .यहाँ पर होलिका दहन के अगले दिन धुलेंडी या रंग खेलने का पर्व होता है . इसदिन सब लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं. हमारी युवावस्था में कपडे फाड़ और कीचड़ वाली होली भी कानपूर में होती थी .अब धीरे –धीरे यह प्रथा कम होती जा रही है . रंग खेलने के बाद लोग आपस में गले मिलते है .शाम को लोगो के घरों में मिलने जाते हैं .जहाँ पर उनका स्वागत गुझिया , आलू के पापड़ , चिप्स और विविध प्रकार के पकवानों से होता है .इस दिन शराब और भांग भी लोगो द्वारा उपयोग में ली जाती है. यहाँ पर सात दिन तक होली खेली जाती है. सातवे दिन गंगा नदी के किनारे गंगा मेला होता है .यह परंपरा नाना साहब  के १८५७ के संग्राम से चली आ रही है. भारत को अंग्रेजो से मुक्ति दिलाने की याद में यह आयोजन होता रहा है. धुलेंडी के अगले दिन परवा फिर  भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है .झाँसी में धुलेंडी के दिन रंग नहीं खेलते है क्यूंकि इस दिन रानी लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर राव का देहांत हो गया था. इसलिए आज भी अगले दिन होली खेलने का रिवाज़ है झाँसी के पास एरच में हिरन्यकश्यप की राजधानी थी .यही से ३ किलो मीटर दूर ढ़ेंकाचल पर्वत से प्रहलाद को बेतवा नदी में फेका गया था .परन्तु प्रह्लाद का कुछ नहीं हुआ था .इसी एरच में होलिका दहन हुआ था .   हिरन्यकश्यप को ब्रिटिश गजेटियर के अनुसार बुंदेलखंड का पहला शासक  माना जाता है .
बरसाना की लठमार होली को देखने विदेश से भी लोग आते हैं . मथुरा यानि ब्रज की होली भी सारे संसार में प्रशिद्ध  है.
होली में पूजा कैसे करें— 
  होलिका दहन के पहले सारे शरीर में उबटन लगा कर उसका मैल एक पुराने कपडे में बांध ले .गन्ना , गेहूं की बाली , बताशा , गोबर के कंडे , अबीर – गुलाल के साथ होलिका दहन स्थल में भगवन विष्णु का नाम लेकर अर्पण करना चाहिए .फिर जलती होली की सात परिक्रमा करके वहाँ  से जलती लकड़ी को घर लाकर तापना चाहिए .जिससे सभी प्रकार के दुःख दर्द उसमे भस्म हो जाएँ 

                                  

Saturday 23 March 2013

VAASTU TIPS FOR GOOD LIFE


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2-    vè;;u d{k ds bZ’kku dks.k esa cPpks dk ihus dk ikuh j[ksA ;gk¡ vius b”V nso dk ljLorh th dk fp= yxk;sA LVsMh :e esa cM+k fejj u j[ksA
3-    nqdku ;k n¶rj esa m-iw- es [kkyh LFkku j[ksA n¶rj ;k nqdku ds nf{k.k fn’kk eas [kkyh LFkku u jgsA
4-    vè;;u d{k o f’k{k.k laLFkk esa mins’k nsrs egkiq:”k tSls foosdkuan ds fp= yxkus pkfg,A iwoZ ls nf{k.k fn’kk dh vksj lqys[k esa lwfä vkfn fy[kuh pkfg,A
5-    O;olk;f;d izfr”Bku esa ,DOksfj;e vkSj lalkj dk uD’kk yxkuk pkfg,A
6-    vè;;u d{k esa eksj] oh.kk] iqLrd] dye gal] eNyh vkfn ds fp= yxk;sA Qynkj o`{k] vkdk’k] ckny] panzek o leqnzh fp= yxkus pkfg,A
7-    mŸkj {ks= dh mŸkjh nhokj ij rksrs dk fp= yxk;sA ;g i<+kbZ esa detksj cPPkks ds fy, tknw dk vlj djrh gsA
8-    mŸkj iwoZ ds njoktks o f[kM+dh [kksy dj j[ksa rkfd ldkjkRed ÅtkZ vanj vk;sA lw;Z dh fdj.k izos’k dj udkjkRed ÅtkZ o ueh dks nwj djsaA
9-    okrkoj.k es O;kIr ‘kCn iznw”k.k o udkjkRed ÅtkZ dks nwj djus ds fy, oSfnd ea=@xk;=h ea= dk tki djsaA
10-   can ?kM+h dks  est ij u j[ksA
11-   lq[k o Lke`f) gsrq izkr% ‘ka[k èofu djsaA èkwi vxjcŸkh tyk;saA rFkk b”V dk mPpkj.k djsaA
12-   f’k{k.k d{k mŸkj fn’kk es gksA bl fn’kk dk Lokeh cqèk dk lacaèk fo|k ls gksrk gSA vr% bl fn’kk esa cSBdj vè;;u djus ls cqf) o fo|k dk fodkl mfpr :i ls gksxkA
13-   f’k{k.k est ij ;fn fijkfeM vkSj Xyksc fØLVy dks j[kk tk;s rks ckyd ds Kku {ks= esa mŸkjksŸkj o`f) gksrh tkrh gSA
14-   f’k{k.k est ij gjk diM+k fcNkus ls us= T;ksfr o efLr”d rhoz xfr ls dk;Z djrk gSA es?kk ‘kfDRk dk rhoz fodkl gksrk gSA

VAASTU - Bhoomi Shodhan


हर आदमी का अपना घर बनवाने का सपना होता है .वह हर संभव यह कोशिश करता है की उसका मकान शुभ हो और उसे कुछ पल सुकून के बिताने के लिए जगह मिले . यदि उसने सब कुछ दांव पर लगा कर मकान बना लिया  और यदि उसे वहाँ रहने के बाद परेशानियों से जुझना पड़े तो उसका क्या हाल होगा उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है .अतः मकान बनवाने से पहले सही जमीन का चुनाव करना जरूरी होता है .अभिशप्त जमीं में मकान बनवाने के बाद बहुत पछताना पड़ता है .इसलिए सबसे पहले आयताकार और समतल जमीन का चुनाव करना  जरूरी होता है. गज पृष्ठ और कूर्म पृष्ठ भूमि लेना हितकर होता है .गज पृष्ठ जमीन में दक्षिण , दक्षिण पश्चिम , पश्चिम और उत्तर पश्चिम की भूमि उँची होनी चाहिए .यह भूमि धन और आयु की बढ़ोतरी करता है . जबकि कूर्म पृष्ठ जमीन में बीच की भूमि उच्चीकृत होती है .यह जमीन सुख और धन की बढोतरी  करती है . जमीन लेने के बाद भूमि  का शोधन करना चाहिए . प्राचीन वास्तु शास्त्र  वास्तु रत्नाकर और वृहत संहिता में भी इनके बारे में विस्तार से बताया गया है .नीव शुरू करने से पहले जमीन  का शल्य शोधन कर लेना चहिये.
   इसके लिए हल से भूमि को जोत कर भूमि के अन्दर दबे हुए विजातीय पदार्थो को दूर कर लेना चाहिए .यदि भूमि जोतते हुए लकड़ी मिले तो उस भूमि में अग्नि  भय की संभावना होती है  .इसी प्रकार पत्थर का  टुकड़ा मिले तो वह भूमि शुभ होती है .ईट हो तो धन की प्राप्ति होती है . यदि कोयला और राख मिले तो धन की हानी की संभावना होती है .यदि हड्डी या कंकाल सम्बन्धी कोई वास्तु प्राप्त हो तो कुल का नाश होता है . यदि सर्प और जानवर के कंकाल हो तो हमेशा  यहाँ पर रहने वालो को जानवर से भय सताता रहेगा .यदि खोदते हुए ताम्बा मिल जाये तो उसमे रहने वाले लोगो को सदैव लाभ मिलता रहेगा .यदि खोदते समय दीमक , चीन्टी और मेढ़क हो तो सुख की हानि होती है .यदि भूसी ,अस्थि , चमड़ा ,अंडे और सर्प हो तो सुख कम हो जाता है .यदि हल जोतेते हुए कौड़ी और कपास मिले तो घर स्वामी के लिए मरण का कारण हो सकता है .यदि लोहा मिले तो माकन बनने वाले को मौत का भय सताता है .इसलिए माकन बनवाने के लिए पहले भूमि की उपरी सतह  से एक पिंड मिटटी हटा कर वहाँ  पर शुभ मिटटी भर देनी चाहिए .इसके अलावा इस भूमि पर तिल के बीज बोकर तीन  दिन बाद यदि अंकुरण हो रहा है तो वह भूमि शुद्ध मानी जाती है. वहाँ भूमि के शोधन के लिए गायों के झुण्ड को बैठाने से भोमी शुद्ध हो जाती है .या फिर एक रात ब्राह्मणों को वाहन रुकवाने से जमीन शुद्ध हो जाती है .
        भोमी शुद्धिकरण के बाद सुभ मुहूर्त में दही ,चावाल ,दूध  ,दीप ,धुप , मिठाई ,आदि से पूजा करके गृहस्वामी पूजा करके रेखा खिचे तो शुभ रहता है . जब शिलान्यास करे तो पहली शिला आग्नेय दिशा में लगाये .हमेशा याद रखे कि जब आसमान में पूर्ण चन्द्र ,गुरु ,शुक्र और सूर्य बलि हो तभी घर की नीव रखनी चाहिए .रविवार , मंगलवार के दिन और कर्क ,मेष , तुला ,मकर लग्न में तथा  रिक्ता तिथि में मकान  न बनवाना शुरु करें .

Wednesday 20 March 2013

Temples of Orcha




  झाँसी से 20 किलो मीटर की दूरी पर मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में ओरछा  जो कालातर में बुन्देल नरेशो की राजधानी रहा है.यह पावन नगरी बेतवा नदी के किनारे  विराजमान है. यह भगवन राम राजा की नगरी के रूप में प्रसिद है. यहाँ पर भगवन राम को राजा माना जाता है. इसके बारे में किवदंती है की ओरछा की रानी  ने अयोधा जाकर भगवान की मूर्ति पैदल ही ओरछा तक लायी  थी . ये राजा मधुकर शाह की पत्नी थी . इन्होने  मूर्ति स्थापना के लिए  एक मंदिर पहाड़ी  के ऊपर चतुर्बुज मंदिर बनाया था लेकिन जब वे महल ए तो थकने के कारण महल में बैठ गयी .इन्होने राम जी की मूर्ति भी वहीँ रख दी .फिर जब अगले दिन मूर्ति को स्थापित करने चली तो मूर्ति अपनी जगह से हिली नही .तबसे महल को रामराजा मंदिर का रूप दे दिया गया. यहाँ पर हर पुष्य नक्षत्र को लोग ग्रामीण क्षेत्रो से पैदल चलकर भगवन की पूजा करने आते है.
  यहाँ रामराजा मंदिर के पास हरदोल का मंदिर है .इस एरिया में लोग रजा हरदोल को भगवन मानते है .ये राजा  जुझार सिंह के भाई थे .राजा को अपनी पत्नी और भाई के मध्य शक हो गया था .अपनी माँ समान भाभी की अस्मिता की रक्षा के लिए हरदोल ने ज़हर पी लिया था. तबसे इनको भगवान के रूप में मानकर पूजा होती है . यही २ किलो मीटर की दूरी पर लक्ष्मी मंदिर हैं जहाँ पर वाल पेंटिंग्स  बनी हुई है जिसको विदेशी टूरिस्ट देखने आते हैं.
                                  राम राजा मंदिर के आँगन में दो टावर सावन - भांदो है. कहा जाता है की सावन के महीने में ये टावर मिल जाते हैं.पास में ही हरदोल के प्रागंण में जहाँगीर का प्याला है .जब जहाँगीर यहाँ आया था तब उसके स्वागत के लिए जहांगीर महल और इस प्याले का निर्माण हुआ था . यहाँ पर परवीन रॉय का महल भी खंडहर के रूप में है. परवीन रॉय एक गणिका थी .जिसकी सुन्दरता पर अकबर भी मोहित हो गया था .ये एक कवियत्री और संगीतज्ञ भी थी . बेतवा नदी के किनारे बुन्देल राजाओ की खूबसूर छतरिया बनी हुई है. नदी के चट्टानों पर बैटकर यहाँ का नज़ारा बहुत सुन्दर लगता है अभी यही बेतवा के किनारे कटरीना कैफ ने स्लाइस कोल्ड दिनक के लिए विज्ञापन शूट किया था .हाल ही में अभिषेक बच्चन की रावण भी यहाँ शूट हो चुकी है.
ओरछा एक रमणीक धार्मिक नगरी है. यहाँ पर रामराजा का विवाह  उत्सव अति प्रसिद्ध हैं.



                                                  RAM RAJA KA ENTRANCE GATE

                                                              CHATURBHUJA TEMPLE

IMPORTANCE OF FLOWERS IN ASTROLOGY




 वैदिक विज्ञानं में फूलो का अति महत्व बताया गया है.प्राचीनकाल से ही मानव का लगाव फूलो के प्रति बहुत रह है.अनादिकाल से मानव पूजा के लिए हर धर्म में फूलो का उपयोग करता रहा है . फूलो के इत्र का भी हर धर्म में लोग प्रयोग करते रहे हैं. किसी अज़ीज़ को खुश करने के लिए भी आज तक लोग बुके देते हैं. इसी तरह हिन्दू धर्म में देवता को प्रसंन्न करने के लिए भक्त गण फूलो को अर्पित करते रहे हैं.प्राचीन हिन्दू ग्रंथो में इन पुष्पों की पूजा विधि दी गयी है. भविष्य पुराण में कहा गया है की यदि सूर्य ग्रह को प्रसंन्न करना हो तो आक के फूल का अर्पण करना चाहिए. इसी प्रकार से रविवार को सूर्यदेव को जल दान करते हुए गुडहल का पुष्प अर्पित करना भी ख़राब सूर्य को शांत करता है .चन्द्र की पूजा हेतु सफ़ेद फूल को अर्पित करना चाहिए.यह मानसिक शांति देता है. मंगल ग्रह की पूजा हेतु पारिजात या लाल गेंदा को चढ़ाना चाहिए.बुध ग्रह को प्रसन्न करने हेतु गणेश जी की मूर्ति को पलाश फूल और दूर्वा को अर्पित करें.यह वाणी और घ्यान की वृद्धी करता है.  इसी प्रकार विद्या का कारक गुरु हेतु कनेर या पीला फूल अर्पित करना चाहिए.शुक्र की शांति हेतु शुक्रवार के दिन सफ़ेद फूल को  इंद्र भगवान का नाम लेकर अर्पण करना चाहिये . शनि देव को खुश करने हेतु काले फूल का अर्पण करना चाहिए. राहु -केतु के अर्पण हेतु ग्रे ,धूमिल और बदरंग फूलो का प्रयोग करना चाहिए.






 

Tuesday 19 March 2013

analysis 3. accident of aditya vikram singh ,ambala

आदित्य का जनम ०७ अप्रैल १९९२ को ०२:४६ दोपहर को हुआ है .लग्न में सिंह राशि में गुरु बैठा है .इनका लग्नेश सूर्य आठवें घर में बैठा है .यह शरीर को कमजोर करता है. साथ ही अस्टेमेष गुरु लग्न में बैठकर राशि परिवर्तन करा रहा है .यह लग्न या शरीर को हानि देता है.इस समय इनकी राहु में शनि का अंतर और गुरु का प्रत्यांतर चल रहा है .शनि सप्तेमेश मारक है. और रोग भाव में बैठा है .राहु पंचम भाव में धनु राशि में बैठा है. इस कारण इनकी स्टडी में भी बाधा हुई थी .इन तीनो की स्थिती के कारण ही २७ फ़रवरी को बाइक  से गिरने के कारण कंधे की बोन में तीन फ्रैक्चर हो गए . मारक दशा होने के कारण सर्जरी फ़ैल हो गयी . अतः  फिर से डेल्ही के सर गंगाराम अस्पताल में १५ फ़रवरी को तीसरी सर्जरी  की गयी . ये सब मारक दशा के कारण हुआ. अभी २३-मई  २०१३ तक ये दशा चलेगी. इसलिए महा मृतुन्जय का जाप इस दशा के ख़तम होने तक करना चाहिए.

Analysis 2 lagna . kundli of sharad chandra , script writer ,mumbai .

शरद जी की कुंडली में वृस्चिक  लग्न है. जिसमे गुरु व् केतु विराजमान हैं .इसके सामने सप्तम में वृष राशि  का उच्च का राहु बैठा है .यहाँ पर राहु दैनिक व्यापर में अधिक सफलता दिलाता है. दोस्तों से धन की हानि होती है . दो अफेयर का योग देता है . विवाह के बाद पत्नी को परेशानी आ सकती है . यहाँ पर धन की व्यवस्था अच्छी करता है .आपका स्वभाव आवेश पूर्ण होता है. लग्न में गुरु की पोजीशन से सुंदर शरीर और अपनी उच्चता का दिखावा करने की आदत होती है. ये लोगो को अपने व्यंग बाण से प्रहार कर मज़ा लेते .रहते है.
आप चतुर , बातों में माहिर हैं .क्रोध के कारण अपना ही नुकसान कर लेते हैं. 
 आपके ११ वें घर में बुद्यादित्य योग बन रह है .जिसके कारण लेखन के द्वारा ही अपार सफलता व् अथाह धन की प्राप्ति होगी. अभिनय के जगह लेखन से ही मेरी भविष्यवाणी के अनुसार २०२३ में फिल्म जगत के टॉप राइटर की पोजीशन में होंगे .इस भाव में बुध उच्च का होने के कारण लेखक ,ज्योतिष में रूचि , गुड स्पीकर ,अंतर्ज्ञान की अनुभूति ,क्रिएटिव और उदारवादी बनता है,
सूर्य की पोजीशन यहाँ पर साहित्य और कविता में रूचि ,कई भाषाओं का ज्ञान प्रदान करता है.बहस करने में निपुणता देता है. मेमोरी पॉवर अच्छी होती है. नेचर में स्त्रियों का सा स्वभाव आ जाता है .
आपके कर्मा भाव में तीन ग्रह सुक्र, मंगल व् चन्द्र  सिंह राशि में बैंठे हैं . इसमें चन्द्र भ्ग्येश है.सप्तमेश शुक् और लग्नेश मंगल की युति के कारण दिव्य राजयोग बन रहा हैं .यहाँ चन्द्र महत्वाकांक्षी ,साहसी , पेट का रोगी ,शान का दिखावा करने वाला और पुराणी विचारधारा से अपने को सलंग करने वाला होता है.
मंगल साहसी , गुरु का आदर करने वाला ,मानसिक परेशानी का अनुभव करने वाला , सफल परन्तु बैचैन रहने वाला , माता पिता का भक्त और गुरु के मार्ग का अनुशरण करके ही आगे सफलता प्राप्त करता हैं.
यहाँ पर शुक्  की पोजीशन के कारण स्त्री से लाभ प्राप्त करता है. यदि स्त्री लेखन से रिलेटेड है तो इनकी सफलता दुगनी हो जाती है, लेकिन अपने विचार खोलने से हानि भी हो सकती है. आवेश व्   जल्दबाजी से बचे 
नहीं तो नुकसान होगा . 

शेष व्यक्तिगत   जाने.