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Tuesday 19 November 2013

jaipur trip



जयपुर यात्रा
जयपुर राजस्थान की राजधानी है. यह शहर वास्तुशास्त्र पर आधारित भारत का पहला सुनियोजित शहर है. इसका निर्माण रजा सवाई जय सिंह ने १७२७ ई . से १७३१ ई . में चार सालो में बनकर तैयार हुआ था .यह कछवहा राजपूत राज्य की राजधानी रही है .इसके पहले आमेर जो जयपुर में है वह राजधानी रही है.यह शहर ज्योतिष और खगोल विज्ञान का केंद्र रहा है . पूरा नगर ९ ब्लाक में बटा है .इसमें दो ब्लाक प्रशासन और महल के हैं.पूरा नगर ऊंची दीवारों से घिरा है.यहाँ का तीज और गणगौर फेस्टिवल बहुत मशहूर हैं.यहां पर होली की पूर्व संध्या पर हाथी महोत्सव होता है. हम लोग बाला जी हनुमान मंदिर और केला देवी के दर्शन करने के उपरांत फोर लेन से होते हुए जयपुर पहुचे .होटल में स्टे करने के बाद शाम को बिरला मंदिर के दर्शन किये . फिर अगले दिन कनक वृन्दावन गए. यहाँ पर सुंदर गार्डन है .इसके पास में जल महल हैं.कनक वृन्दावन में सुंदर मंदिर है .जहाँ पर वृन्दावन से लाये गए कृष्ण की मूर्ति है .इसके बाद जयगढ़ किले गए .जहाँ पर संसार की सबसे बड़ी तोप जय बाण रखी है. इसके बाद सिटी पैलेस गए जो राजपूत और मुग़ल कला पर आधारित है .इसमें  महारानी महल , दीवान –ए- खास और दीवान –ए- आम दर्शनीय हैं .यहाँ की मिनेचर  आर्ट गैलरी सुंदर हैं. जयपुर महल के प्रांगण में ही हवा महल है. यह महल अपने झरोखों के लिए जाना जाता है. महल में जालीदार खिडकियां है जिनसे पूरे महल में हवा आती है.इसे राजा सवाई प्रताप सिंह ने १८वे शादी में बनवाया था .
यही पर जंतर- मंतर जो ज्योतिष और खगोल विद्या का केंद्र बिंदु है , अपनी सूर्य घडी के लिये सारे संसार में फेमस है.इसके अलावा जयपुर में रानी सिसोदिया का बागीचा , आमेर महल . नाहरगढ़  का किला और जल महल देखने योग है. गेटोर में महारानी की छतरी बहुत ही सुंदर बनी है.
जयपुर से लौटकर फतेहपुर सिकरी गए.


इसके बाद जन्टर- मन्टर गए . यह खगोल शास्त्र पर आधारित रजा सवाई जय सिंह द्वारा बनवाई वेधशाला हैं.सूर्य घड़ी व् राम यंत्र देखने लायक है .इसी से लगा हवा महल है. इसे रजा सवाई प्रताप सिंह ने १८वीं शताब्दी में बनवाया था .पुरे महल में जालीदार झरोखे और दरवाज़े हैं.इसके बाद गालता जी के दर्शन किये .फिर मथुरा आ गए.