योगनी दशा
जातक का जनम जिस नक्षत्र में हुआ हो
उसको अशिवनी नक्षत्र से गिनकर उसमे 3 का योगकार ८ से भाग देने पर जो १ आदि शेष आये
उसे क्रम से
१-मंगला
२-पिंगला
3-धन्या
४-भ्रामरी
5-भद्रिका
६-उल्का
७-सिद्धा
८-संकटा
मंगला दशा का फल
मंगला की दशा में यश , राजा से लाभ , वाहन ,
मांगलिक कार्य , विद्या लाभ , धर्म की ओर जिज्ञासा , वस्त्र –आभूषण , स्त्री से
सुख और अनेक लाभ मिलते है.
मंगल में अन्तर्दशा का फल
मंगल-मंगल
– घर में शुभ कार्य , पुत्र,मित्र ,स्त्री
और शरीर से लाभ मिलता है .
मंगल-पिंगला
– परिवार में कलह , कष्ट और मानसिक तनाव होता है.
मंगला-धन्या
–सभी प्रकार से धन और शुख के साधन प्राप्त होते है.पुत्र – मित्र और परिवार के लोग
सहायक होते है. सभी भोग विलास के साधन मिलते है.
मंगला
–भ्रामरी --- इस दशा में महिला से कलह ,
मित्र शत्रु बन जाते हैं.घर से बाहर जाना होता है . धन का नाश होता है पर रजा से
सम्बन्ध बनते हैं.
मंगला-
भद्रिका – इस दशा में लाभ मिलता है . स्त्री व् पुत्र से सम्बन्ध प्रेमपूर्वक हो
जाते है. धन व् साधन की प्राप्ति होती है.धर्म की ओर जाने की इच्छा होती है.
मंगला
–उल्का – इस दशा में धन हानि , राज्य से हानि व् दंड . स्त्री व् पुत्र से धन व्
सम्मान की हानि होती है.मित्र व् जानवर से भी हानि होती है.
मंगला
–सिद्धा – इस दशा में पुत्र , धन ,मित्र , स्त्री और राज्य से लाभ मिलता है.सभी
प्रकार के मनोरथ पूरे होते हैं.
मंगला-
संकटा – इस दशा में चोरी होने का खतरा रहता है. जल व् अग्नि भय सताता है. राज्य से
भी कई कष्ट आते हैं .मृत्युतुल्य परेशानी
कई बार आती है.
पिंगला दशा
पिंगला
दशा का फल मिला जुला रहता है. पहले लाभ बाद में हानि देती है.यदि जनम कुंडली में सूर्य शुभ हो तो पद – सम्मान मिलता है. स्त्री
व् पुत्र से सुख मिलता है.. यदि सूर्य अकारक है तो मानहानि होती है.
पिंगला की अन्तर्दशा
पिंगला
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पिंगला
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१मास 10 दिन
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कष्ट , शोक
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रोग ,कलह
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मानसिक तनाव
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पिंगला
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धन्या
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२ माह
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शुभ
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स्त्री सुख
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धन
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पिंगला
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भ्रामरी
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२ माह 20 दिन
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विवाद
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भ्रमण
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कलह , हानि
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पिंगला
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भद्रिका
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3 माह 10 दिन
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मान –सम्मान
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व्यापार से धन
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पुत्र लाभ
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पिंगला
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उल्का
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४ माह
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कलह
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राज्य से हानि
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समाज से हानि
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पिंगला
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सिद्धा
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४ माह 20 दिन
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वस्त्र वाहन सुख
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प्रमेह का भय
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धन लाभ
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पिंगला
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संकटा
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५माह 10 दिन
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हानि
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परेशानी
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रोग,राजा व् शत्रु भय
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पिंगला
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मंगला
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20 दिन
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मानसिक परेशानी
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रोग , शोक , मोह
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भय
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